गुंजा जब घरे पोची तो कछु जने पेला से घर के भीतर बैठे राये। गुंजा चुपकउ से एक कोद से अम्मा के एंगर आ गई।
"काय अम्मा जे आदमी को आएं" गुंजा ने अम्मा से कई
"बेटा जे तोरे देखाऊआ आए अब उ दिन दूर नइया जब ते डोली में बैठे" अम्मा ने प्यार से मुड़ पे हाथ फेर के कई
"मोये नाइ बैठने डोली पे अबे तो मोये पढ़ने है मोरों ब्याओ हो जे तो का मोये पढ़बे खा ओतए मेल है" गुंजा ने कई।
"कोल पढ़ लओ तेने अब ज्यादा पढ़ लेख के का करने। पाँच किताब तो पढ़ लाइ जेइ भोत है" गुंजा के बाऊजी भीतर आ के बोले।
गुंजा को ब्याह तय हो गओ। एक महीना बाद कि तारीख निकरी। सब जने ब्याहो की तैयारी में लगे ते तो गुंजा परेशान हती। उ खा तो अबे खूब पढ़ने हतो। अपनी स्कूल की मैडम घाई टीचर बनबे को सपना हतो। और ब्याह होबे के बाद जो सपनों कबहु पुरो नाइ हो सकत तो। अबे उ की उमर भी तो तेरह साल की है। पढ़बे लिखबे, खेलबे कुदबे की उमर में उको ब्याह होबे बालो हतो। हमाये देश भले कितनो आगे बड़ रओ होये पर देश के कछु गाओन में अबे भी चोरी छिपे लड़कन बिटीयन को बाल विवाह कर दओ जात है। ब्याओ के देना एंगर आउत जात दे गुंजा ने अब स्कूल जाबो भी बंद कर दओ हतो। पढ़बे में होशियार और चुलबुली गुंजा खा अपनो टीचर बनबे को सपना डॉली में बेदा होत दिख रओ तो।
नाये गुंजा के कोल देना से स्कूल न आबे से स्कूल की मैडम यशोदा जी परेशान हती। एक दिना यशोदा जी ने गुंजा के संगे पढ़बे वाले बच्चन से गुंजा के बारे में पूछो।
"काय तुमओरे गुंजा खो जानत हो न कछु पतो है उके बारे में कोल देना से स्कूल नाइ आई कउ बीमार तो नइया" यशोदा जी ने बच्चन से पूछी
"मैडम आज तो गुंजा को ब्याओ है ऐते से हम सब उइके घरे जाने" एक लड़का बोलो
ब्याहों की बात सुन के यशोदा जी चौक गई। बे तुरतऊ उ लड़का के संगे गुंजा के घर की तरफ चल पड़ी। ओते पोची तो गुंजा दुल्हन बनी बैठी राय।
"जो का हो रओ ऐते बंद करो जो नाटक" यशोदा जी चिल्ला के बोली। उनके आवाज सुन के सब घबरा गए। गुंजा के बाऊजी सामने आ के बोले। जो नाटक नोइ हमाई बिटिया को ब्याह हो रओ।
"जो ब्याह नाइ जो अपराध है बेचारी गुंजा की उमर तो देखो मासूम और खेलबे कि उमर में जिम्मेदारी को बोझ काय दे रए हो। ई ब्याह में उकी भलाई नाइया।" यशोदा जी गुस्सन में बोली
पर गुंजा के बाऊजी मानबे वाले तो हते नइ बल्कि उनको संग गाओ के और लोग भी देंन लगे। "अछ्यो होगो मैडम आप ऐते से चली जाओ हमाई मोड़ी को अछ्यो बोरो हम जानत है।" बाऊजी बोले
एत्ते में ओते पुलिस भी आ गई। माहौल देखके ही सारो माजरो पुलिस समझ गई। बाऊजी खो गिरफ्तार करन लगे पुलिस के आउतन ही ओते अफरा तफरी मच गई। गुंजा दौड़ के आई और यशोदा मैडम से हाथ जोड़ के बोलन लगी। मैडम मोरे बाऊजी खो पुलिस से बचा लेयो। हमाई अम्मा को का हुईए। यशोदा मैडम ने उखा समझाओ की उके बाऊजी तुमाओ बाल विवाह करवाबे जा रये ते और बाल विवाह एक अपराध होत है। लेकेन गुंजा यशोदा मैडम के पाओ में लौट गई और बाऊजी को माफ करबे के लाने गुहार करन लगी। आखिरकार मैडम के केबे पर बाऊजी का चेतावनी और समझाइश देके पुलिस ने छोड़ दओ। आज जितने दुखी अम्मा और बाऊजी हते गुंजा उतनाई खुश और चेंगारी हती कयेसे एक बार फेर गुंजा के सपनन में पंख लग गए हते।
मोरी कहानी आप सबखा नौनी लगी होये तो कमेंट करके जरूर बतइयो। धन्यवाद
स्वरचित, अप्रकाशित
@बबिता कुशवाहा
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