आगाज़ आत्मविश्वास को

बुंदेली भाषा कहानी

Originally published in hi
Reactions 2
634
Babita Kushwaha
Babita Kushwaha 03 Jun, 2020 | 0 mins read
equality

पति खा चंदा की बिटियन से कोनऊ मोह नाइ हतो। उ खा तो बस लड़का चाने तो। अबकी बेर चंदा तीसरी बार पेट से हती। पति ने पेलई के दई हती की "अबकी बेर भी बिटिया भई तो घरे न आइये"

चंदा के मन मे दिनभर जेई चिंता लगी रात ती। मोड़ा की चाह में दो दो मोड़ी हो गई हती। अगर फेनकई मोड़ी भई तो पति मोये छोड़ न दे। फेर मोरो और मोरी बिटियन को का हुईए जेई चिंता में 9 महीना निकल गए। पेट की नन्ही जान भी मताई की तकलीफ जान गई ती। जब बा नन्ही जान बारे आई तो डॉक्टर बोले बड़ी कमजोर पैदा भई है इको बचबो भोत मुश्किल है। चंदा भी बड़ी डरी हती। उ खा डर तो की अब मोरो पति मोरी बिटिया का स्वीकार करहे के नाई।

चंदा भगवान खा सुमरन लगी। आखिर मताई की ममता खा जीतने पड़ो और नन्ही बिटिया ने आँखे खोल लइ। बिटिया को भोलो मो देख के चंदा में हिम्मत आ गई। "जब मोरी बिटिया मौत से लड़ के उये हरा सकत है तो मैं का अपनी बिटिया के लाने अपने पति से नाइ लड़ सकता"

चंदा में अब आत्मविश्वास आ गओ तो अस्पताल में उये कोउ मिलबे नाई आओ। जब अकेली घरे पोहची तो पति ने भीतर आबे से मना कर दई। बोलो की "मोड़ी और चंदा में से कोई एक कि घर मे जंगा है अगर तोखा मोरे संगे राने तो ई बिटिया खा कऊ छोड़ आ"

चंदा ने तेज हूंकार भरी उ की आवाज सुन के उको आदमी भी कपकपा गओ। "अगर तोरे में अपने परिवार को पेट भरबे की दम नइया तो तोरी कोनऊ जरूरत नइया। ऐसे पति को का फायदों जो अपनी खुद की बिटियन खा अपनो न माने मैं अपनी बिटियन का अपने दम पे खिला पिला सकत हो और अकेले पाल भी सकत हो। अब तोरी कोनऊ जरूरत नइया मोये।"

चंदा की आवाज में इतनों हौसला हतो के उ को पति कछु न बोल पाओ और चुपचाप ओतए से चलो गओ। चंदा के मन मे अब आगाज हो गओ तो संघर्ष और आत्मविश्वास को आगाज।

मोरी कहानी कैसे लगी कंमेंट में जरूर बताइयो। धन्यवाद

स्वरचित

@बबिता कुशवाहा




2 likes

Published By

Babita Kushwaha

Babitakushwaha

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

Please Login or Create a free account to comment.