भाग एक से जारी...
मोबाइल हमारा साथी:- इस काल मे घरों में रहना बहुत मुश्किल है। लेकिन अगर सुरक्षित रहना है तो इस सख्ती का पालन करना बहुत जरूरी है। इस मुसीबत में हमारा सबसे बड़ा साथी है मोबाइल। मोबाइल हमारे जीवन का एक अभिन्न अंग बन चुका है। सही भी है कि मोबाइल से हमे काफी सुविधायें है। दूर रहकर भी अपने करीबियों से लगातार जुड़े रह सकते है, विडियो कॉलिंग से प्रत्यक्ष एक दूसरे को देख सकते है, सारी दुनिया की जानकारी अपने घर बैठे पा सकते है, इसमे मनोरंजन के भी अनेक विकल्प मौजूद है।
हम भले ही कोरोना जैसी गंभीर समस्या से जुलझ रहे हो पर हम डिजिटल इंडिया में है। आज जमाना इतना बदल गया है कि लोग वीडियो कॉल पर रोका और निकाह भी करने लगे है। क्या आपने कभी सोचा था कि स्पर्श न करने को कभी प्रेम समझा जाएगा शायद नही। आज देश और दुनिया में जो हालात है वो यही कहते है कि अगर आप अपने परिवार दोस्तो, रिश्तेदारों से प्रेम करते है और उन्हें स्वस्थ देखना चाहते है तो कृपा उनसे दूर रहे। हम अपनो से दूर तो है पर शुक्र है विज्ञान की टेक्नोलॉजी का। हम विडियो कॉलिंग से न सिर्फ बात कर पा रहे है बल्कि अपने करीबियों को देख भी पाते है और सबसे जरूरी इससे सोशल डिस्टेंसिंग भी मेंटन हो रही जो आज बहुत ही जरूरी बन गई है। हम भौतिक रूप से भले दूर हो पर भावनात्मक रूप से आज भी करीब है।
डर में भी पॉजिटिव बने रहना - आज हर कोई डर और ख़ौफ़ के माहौल में है। सब सोचते है कि घर पर रहे तो कोरोना से बच सकते है हा यह सही है लेकिन तमाम सावधानी और सुरक्षा रखने के बाद भी मन मे नकारात्मकता प्रवेश कर ही जाती है। कल क्या होगा, ऐसा कब तक चलेगा, कोरोना मरीजो की संख्या बढ़ती ही जा रही है आदि सवाल हमारे मन मे नकारात्मकता भर देते है।
लेकिन समय एक सा कभी नही रहता आज बुरा समय है तो कल अच्छा समय भी आयेगा इसलिए क्वारंटाइन को मजबूरी न समझते हुए मस्ती के साथ दिन गुजारें।इस समय को नेगेटिविटी के रूप में व्यर्थ न जाने दे।मेरा मानना है कि यदि आप खुद को पॉजिटिव रखना चाहते है तो अपने आसपास ऐसा वातावरण बनाना होगा जो पॉजिटिव हो। आप अपनी लाइफ से ऐसी चीजों को दूर कीजिये जिनकी वजह से आपकी सोच में नेगेटिविटी आती हो।
प्रकृति के लिए वरदान:- कहते है न सबका दिन आता है कल मनुष्यों के दिन थे आज प्रकृति के दिन है। आदमी अपनी जरूरतों के लिए प्रकृति का शोषण करता ही चला गया लेकिन ईश्वर सबको बराबर नजरो से देखता है। आज ईश्वर ने एक वायरस के द्वारा लोगो को घरों में कैद करवा दिया है और प्रकृति को आजाद।
अब सुबह अलार्म लगाने की जरूरत नही पड़ती... चिड़ियों के शोर से ही नींद खुल जाती है। वो आसमान जो कभी प्रदूषण और धुयें में नजर नही आता था आज नीला और साफ दिखाई देता है। जिन गंगा, यमुना नदियों को सरकार करोड़ों खर्च करके भी इतने सालों में न कर पाई वो कोरोना के चलते कुछ महीनों में ही हो गया। यह सच है कि कोरोना वायरस दुनिया के लिए काल बनकर आया है। बड़े बड़े शक्तिशाली देशों ने भी इसके सामने घुटने टेक दिए है। लेकिन कोरोना और संक्रमण से बचने के लिए दुनिया मे लगा लॉक डाउन प्रकृति के लिए वरदान बन गया है। आज गाड़ी, मोटर, कारखाने सब बंद है लेकिन हवा शुद्ध है। आज पक्षी, जीव-जंतु यही कामना करते है कि यह लॉक डाउन पर कभी विराम न लगे ये ऐसे ही चलता रहे और हम आजादी से सांस लेते रहे।
आज सभी अपने परिवार के साथ वक़्त बिता रहे है। सब डरे हुए है मुश्किल की इस घड़ी में हो सकता है लोग परिवार की अहमियत समझे और बेवजह गाड़ी लेकर बाहर न निकले। आज कोरोना से जान बचाना ही सबकी प्राथमिकता है। जब लोगो की जिंदगी पर बनी वे सब करने को तैयार हो गए। व्यक्ति के जीवन मे जो परिवर्तन इस कोरोना काल के दिनों में आया है वो शायद बाद में भी बना रहें। पर्यावरण को बचाने के लिए लोगो को अपनी आदते बदलनी होगी। आज मुश्किल समय मे सारी दुनिया एक साथ खड़ी है एक दूसरे का साथ देने के लिए तैयार है तो क्या यही जज्बा और इच्छा शक्ति हम पर्यावरण को बचाने के लिए नही दिखा सकते?
साफ सफाई बनी दिनचर्या:- सबसे बड़ा परिवर्तन जो हमारे जीवन में आया है वह है साफ सफाई का कड़ाई से पालन। माना कि हम पहले भी इसका ध्यान रखते थे फल सब्जियों को धोते थे हाथ भी साफ रखते थे पर आज हम डर से ही सही पर अब और ज्यादा सजग हो गए है। अब हम हाथों को केवल एक दो बार नही बल्कि दिनभर में कई बार धोते है यहाँ तक कि हम अपने बच्चों को भी साफ सफाई के बारे में और अधिक ध्यान रखवाते है। बाहर जाते समय मुँह पर मास्क, सोशल डिस्टेंसिंग, बाहरी खाने पीने के बजाय घर का बना खाना आदि का सावधानी से पालन करते है और ये परिवर्तन कुछ दिन या महीनों के नही बल्कि कोरोना के जाने के बाद भी बना रहना है। क्योंकि अब यह परिवर्तन क्षणिक नही बल्कि हमारे जीवनशैली का ही हिस्सा बन चुके है।
बहुत बड़ा सत्य है कि जीवन कही ठहरता नही और सब कुछ कभी खत्म नही होता। लेकिन कोरोना वायरस जैसे संकटो से जीवन मे कभी कभी ऐसे क्षण आ जाते है जब लगता है मानो सब खत्म हो रहा है। लेकिन किसी ने कहा है कि उम्मीद की मद्धिम लौ नाउम्मीदी से कही बेहतर है। बस जरूरत कदम उठाकर चलने की होती है, विश्वास की शक्ति को जागृत करने की होती है। तो मेरे दोस्तों विश्वास बनाये रखें। कोरोना को सिरर्फ नेगेटिव नही बल्कि एक पॉजिटिविटी के साथ ले और जो बदलाव कोरोना दौर में हुए है उन्हें अपने जीवन मे स्वीकारने का प्रयास करें। धन्यवाद
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