एक देना रात के 12 बजे कोनऊ ने दोरो बजाओ। इतने जाड़े मे ई टेम कौन आओ हुईए सोचत वसुधा ने दरवाजे के सास में से बारे झांको तो दोरे में राधा अपनी दो बिटीयन के संगे ठाड़ी हती। वसुधा ने तुरंत दरवाजो खोल दओ। सामने राधा की दो बिटिया ठाड़ी ती औऱ एक खा बा शाल में लपेटे सीना से चिपकाए ती। वसुधा ने उ खा कछु कपड़ा और कंबल दओ और बिना कछु बोले दूसरे कमरा में बिटीयन खा सोलाबे भेज दओ। शायद बा राधा की परेशानी भांप गई हती एइ के लाने बिटीयन के सामने कछु पुछबो उ खा सई नाई लगो। और ओतई बैठ के राधा के बारे आबे की बाट हेरन लगी। तनक देर में राधा बारे आई और वसुधा खा देख के फुट फुट के रोऊंन लगी।
"भगवान मोये कबहु माफ न कर है दीदी मैने बहुत बड़ो पाप करो है"
"तेने कोनऊ पाप नाइ करो राधा जो सब तो भगवान की देन है और जो हमे स्वीकार करने ही हुए।" वसुधा ने राधा खा समझा के कई। साफ साफ बता के बात का है।
"आप तो जानत हो दीदी मोरे पति का बिटीयन से कोनऊ लगाव नाई हतो उ तो बस लड़का की ही चाहत रखत तो और लड़का के लाने ही मैं तीसरी बेर फेन कई पेट से हो गई और अबकी बेर फेनकई बिटिया भई जेइ गुस्सा में आज दारू पी के नशा में मोरी बिटीया खा बेचबे जा रओ हतो। जब मैने रोकी तो मोरे पे भी उने हाथ उठा दओ। ई से मैं उ खा छोड़ के आ गई। उ आदमी अब विश्वास लायक नइया जाने कब दारू के नशा में मोरी बिटीयन खा बेच दे। ई मुसीबत में मोये आपके घर आबे के अलावा कोनऊ दूजो रास्ता नाइ सुझो अब मैं अपनी बिटीयन खा अकेले ही पाल सकत हो। इके लाने मोये आपको सहारो चाने। राधा की आँखन में आत्मविश्वास की चमक आ गई हती।
मोरी कहानी कैसी लगी कॉमेंट में बताइयो। धन्यवाद
@बबिता कुशवाहा
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