कई सालों बाद जब उसकी आवाज सुनी..... वो चौक पड़ा। यही तो वो आवाज थी जो उसे रोज सपनो में सुनाई देती थी। उससे रहा न गया और उसे देखने के लिए तुरंत मुड़ा जिसकी एक झलक के लिए वो इतने सालों से तरस रहा था। उसे देखते ही वक़्त थम सा गया। पांच साल पहले के अतीत के पन्ने उसके सामने खुलने लगे।
रंजना से उसकी पहली मुलाकात कॉलेज की फ्रेशर पार्टी में हुई थी। मोहित ने जब उसे देखा तो बस देखता ही रह गया। रंजना का स्टेज पर डांस का परफॉर्मेंस था। मोहित को उससे पहली नजर में ही प्यार हो गया था। मोहित ने पास आकर उसके डांस की खूब तारीफ की। बातों बातों में पता चला की वह उसी के कॉलेज में आर्ट्स सेकंड ईयर में पढ़ती है। यहीं से उनकी दोस्ती की शुरूआत हुई। धीरे धीरे दोस्ती गहरी होती गई। एक दूसरे से मिलना, बाते करना, फ़ोन करना, शॉपिंग करना सब कॉमन हो गया। रंजना भी रोहित को पसंद करने लगी थी। एक दूसरे की पसन्द न पसन्द के बारे में भी अच्छे से जानने लगे थे। एक दिन रोहित ने अपने दिल की बात भी रंजना को बता दी। रंजना तो कब से मोहित से यह सुनना चाहती थी।
दोनो का प्यार परवान चढ़ने लगा। फ़ोन पर कुछ मिनटों की होने वाली बातें अब घण्टो तक होने लगी थी। मोहित का दिन रंजना के नाम से ही शुरू होता औऱ उसी के नाम पर खत्म। रंजना के घरवाले सख्त स्वभाव के थे। मोहित के दूसरे धर्म के होने का पता घरवालों को अभी चल गया तो रंजना की पढ़ाई न रुकवा दे इसलिए कॉलेज पूरा होने तक अपने प्यार के बारे में घर वालो से छुपाना ही उन्हें सही लगा।
आखिर कॉलेज का आखिरी दिन भी आ गया। सभी एक दूसरे से मिलते रहने के वादे कर रहे थे। मोहित भी कॉलेज की कैंटीन में रंजना का हाथ पकड़े बैठा था। रंजना की आंखों में आंसू थे कॉलेज आने के बहाने ही तो वह मोहित से मिल पाती थी अब तो वह बहाना भी नही रहा। मोहित ने उसके आँसू पोछते हुए कहा "तुम परेशान मत हो.... मुझे अपने प्यार पर पूरा भरोसा है एक बार मैं सैटल हो जाऊं फिर खुद अपने परिवार के साथ तुम्हारा हाथ मांगने आऊँगा... फिर हम हमेशा साथ रहेंगे।
उस दिन के बाद उनकी बातें फ़ोन पर ही हुआ करती। फोन हमेशा रंजना ही करती थी उसने मोहित से कह रखा था वो घरवालों से बचकर मौका देखकर खुद ही फ़ोन किया करेगी। लेकिन इस बार दो दिन हो गए लेकिन रंजना ने फोन नही किया। मोहित तीन दिनों तक उसके फोन का बेसब्री से इंतजार करता रहा। अब उसे चिंता सताने लगी चौथे दिन उसने हिम्मत करके खुद ही रंजना को फ़ोन किया लेकिन फोन बंद आया। दिन भर में सैकड़ो बार उसने फोन किया लेकिन हर बार एक ही जवाब "switch off"
उस दिन मोहित की आंखों से नींद गायब थी। खुली आँखों से वह सुबह होने का इंतजार करने लगा। और सूरज की पहली किरण के साथ उसके घर पहुँच गया। घर पर ताला लगा था। पड़ोसियों से पूछा तो पता चला वो लोग चार दिन पहले ही किसी को बिना बताए घर खाली करके चले गए है साथ मे घर का पूरा सामान भी ले गए। शायद घर बेच दिया है कहा गए किसी को कुछ पता नही।
मोहित पूरी तरह टूट गया था। उसे नही पता था कि कॉलेज का आखिरी दिन उसकी मुलाकात का भी आखिरी दिन होगा। उसके प्यार का अंत इस तरह होगा उसने कभी नही सोचा था। मोहित ने रंजना को अपने स्तर पर ढूंढने का हर संभव प्रयास किया मगर रंजना नही मिली। इस हादसे से उभरने में मोहित को कई साल लगे। दो दिन पहले ही मोहित अपने ऑफिस के वर्कशॉप के काम से दोस्त के साथ देहरादून आया था। यहाँ दोनो एक होटल में ठहरे हुए थे। काम निपटा कर दोनो दोस्तों ने देहरादून घुमने का प्लान बनाया। मार्च का महीना और तेज धूप। दोस्त पास की दुकान से पानी लेने गया था।
मोहित......मोहित...... कहा जा रहे हो... रुको....
ये आवाज.. ये आवाज तो रंजना.. आवाज सुनते ही तपती गर्मी की दोपहर में भी ठंडी हवा का झोंका मोहित को कपकपा गया। उसके धड़कने बड़ने लगी वह तुरंत मुड़ा "हां ये वही थी, वही खूबसूरती, वही आवाज, वही मुस्कान जो पाँच साल पहले हुआ करती थी।" पर यह क्या मोहित नाम की आवाज लगाते हुए वह लगभग तीन साल के बच्चे के पीछे भाग रही थी। मोहित ने उसे गौर से देखा शरीर पर साड़ी, हाथों में चूड़ियां, गले मे लटका बड़ा सा मंगलसूत्र।
"मम्मा मुझे खेलने दो न प्लीज.."
सुनते ही वह शून्य हो गया और तुरंत वापिस मुड़ गया उसकी आँखों से आंसू बह चले थे। अब यह वह रंजना नही थी जिसे वह चाहता था वो बिल्कुल बदल गई थी। अब वो किसी की पत्नी और किसी की माँ थी। उसका मन बोल उठा "मैंने आज तक तुम्हारा इंतजार किया। तुमने घर बदल दिया तो क्या मुझे एक बार फोन तो कर ही सकती थी कि मोहित मेरा इंतजार मत करना। मुझसे दूर होकर तुमने नई दुनिया बसा ली और मैं आज तक तुम्हे ढूंढता रहा। पर अगर तुम खुश हो तो मैं भी अब खुश हूं। अब न तुम्हारा इंतजार है और न तुम्हे ढूंढ़ने की कोई वजह।" सोचते हुए मोहित ने अपने कदम होटल की तरफ बड़ा लिए।
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Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
Well written
थैंक्स
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