रानी खा हमेशा से इंतजार हतो की कबे उके ऑफिस की छुट्टियां होय और बा माँ को काम में हाथ बंटा सके। बा तो हमेशा जेई सोचती की माँ के संगे राये, उनके संगे बैठ के ही खाना खाये। जबे भी माँ खा किचन में काम करत देखत ती तो मन होत तो की अबई माँ की मदद करन लगें लेकन बाहर जाबे की मजबूरी के चलते कबहु न कर पाती। अब जबसे लॉकडाउन लग गओ है रानी की तो मानो मन की मुराद पूरी हो गई हती। अब उये पूरे पूरे दिन माँ के संगे रेबो को मौका मिलो हतो। आज रानी ने माँ से कई
"माँ तम तो रोज हमाये लाने खाना बनाउत हो आज से अब जो काम हमाओ है अब तम आराम करो"
पर माँ मानने वाली का ती बा बोली "अरे बिटिया मोये तो अच्छओ लगत है काम करबो जो लो जै हाथ पाँव चल रये जो लो मोये काम करबे से न रोक"
रानी और माँ दोनउ अपनी अपनी बात पे अड़ी रइ अंत में सहमति बनी की इतवार को पुरो काम रानी करें। और रोज माँ की मदद भी कर सकत है। जब दोनउ मिलके काम करें सो समय भी कट जैहै और काम करबे में भी मजो आ है।
दोस्तों जैसों रानी ने करो उसो आप भी कर सकत है। आपने देखो हुईए के घर में केबल एक ही आदमी कोल देर से अकेलो काम कर रओ है सो आप उकी मदद कर सकत है। मान लेयो माँ रोटियां बना रइ है और रोज रोटी बनाबे में आधो घंटा लगत है सो अगर आप उनकी रोटियां संगे बैठ के सिकवा दे तो उनको काम को बोजोआ भी कम हो जे और टेम भी जल्दी और आसानी से कट जैहै। संग में आपको रिश्तो भी मजबूत हुइये। माँ के संगे काम में मदद करवा के आप कोल चीजे सीख सकत हो।
कई लोगन खा लगत है भोजन बनावो कौन सो बड़ो काम है जो तो कोउ भी कर सकत है। लेकन जब माँ के हाथ के खाने की बात होत है सो सब एकमत हो जात है कि माँ के घाई खानों तो कोनऊ नाइ बना सकत है। इको एक कारण जो है कि माँ सिरर्फ भोजन ही नाइ पकाउत है बल्कि उ भोजन में माँ को प्यार, उको स्नेह, उकी भावनाएं भी शामिल होत है। इसे आपखा जब भी मौका मिले सो माँ के संगे समय जरूर बिताए इसे निश्चय ही आपखा कछु न कछु सिखबे खा जरूर मिलें।
©बबिता कुशवाहा
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
बहुत अच्छी
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