दिल तो अबे जवान है

बुंदेली कहानी

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Babita Kushwaha
Babita Kushwaha 08 Jun, 2020 | 0 mins read
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"अरे कां हो, देख तो मैं तोरे लाने का लेआओ हो।" लाल गुलाब को फूल शीला जी के बालन में लगाउत माधव जी ने कई"

"जो का कर रये हो लड़का बिटीया देखे सो का कैहे के बूढ़ा बूढ़ी खा बुढ़ापे में जवानी चढ़ रइ" शीला जी शर्माउत बोली

"जिये जो काने सो कान दो, मोये कोनऊ चिंता नइया। शरीर बुढ़ो भओ है जो दिल तो अबे भी जवान है, तोये ध्यान नइया का बेसर गई का आज वेलेंटाइन को दिन है पेला जेइ देना खा ते एक महीना पेला से याद देलाउन लगत ती मोये।"

"अरे मोये तो ध्यान ही नइ हती की आज वेलेंटाइन है सई के रये हो तोम उम्र तो एक नंबर है और उमर हमाये प्रेम के बीच नाइ आ सकत है" शीला जी ने गुलाब ठीक करत कई।

एत्ते में उनको नाती जो ओतई खेलत तो दौड़त गओ और सबखा बता दओ के दादा दादी के लाने गुलाब लाये है। सबखा जैसई पतो चलो सब उ कमरा में आ गए। बच्चन खा आउत देख शीला जी ने गुलाब का साड़ी के पल्लो से लुका लओ।

"अरे माँ कये लुका रइ कित्तो साजो तो लग रओ है जो फूल, इखा लुकाबे की कोनऊ जरूरत नइया।" बड़ी बहू बोली

"बाबूजी आपने तो कबहु बताओ नइया की आपके टेम में भी वेलेंटाइन मनाउत ते।"

"दादाजी तो बड़े रोमेंटिक है आज हमें पतो चल गओ के प्रेम कबहु बूढ़ो नई होत। आज सब मिल के वेलेंटाइन बना है।" और सब ठहाका मार के हँसन लगें।

मोरी कहानी अच्छी लगे तो लाइक और कमेंट करबो न भुलियो। धन्यवाद

स्वरचित

@बबिता कुशवाहा






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