कुछ दिनों पहले अखबार में एक खबर आई थी कि लॉक डाउन में घरेलू हिंसा और तलाक के मामले पहले की अपेक्षा बढ़ गये है। जब परिवार इकट्ठा होता है तो रिश्तो के टूटने या उनमें खटास आने की आशंका बढ़ जाती है क्योंकि इससे पहले वे इतने दिनों इतनी देर तक साथ थे ही नही। घरेलू झगड़े जब बार बार होते है तब हम एक दूसरे से दूर होने लगते है। बच्चे भी पेरेंट्स से चिढ़ने लगते है उन्हें लगता है कि पैरेंट्स जरूरत से ज्यादा ही रोक टोक कर रहे क्योंकि वे हमेशा उनके सामने होते है।
पहले हम सभी की शिकायत रहती थी कि हमारे पास समय नही है पर अब जब समय आया है अब हम सोचने लगे है कि हमारे पास तो बहुत समय है मैं तो दिन भर घर मे बोर हो जाता हूं। पहले हम कहते थे कि आज ऑफिस में काम से थक गया हूं पर अब कहते है कि घर मे रह रह कर थक गया हूं। अर्थात निष्कर्ष यह है कि हम परिस्थिति से कभी खुश नही रहते। जब परिस्थिति सम रहती है तब भी हमे उससे शिकायत रहती थी और अभी जब परिस्थिति और हालात सही नही है तब भी हमे उससे शिकायत रहती है।
आज हमें जो समय मिला है उसे हमे सही दिशा में उपयोग करने की जरूरत है। पहले हम कब अपने परिवार के साथ इकठ्ठे बैठे ये हमे भी ठीक से याद नही होगा कभी बैठे भी होंगे तो घर का प्रत्येक सदस्य साथ नही होगा। पर अब हमें यह मौका मिला है तो इसे सकारात्मक तरीके से उपयोग करने की आवश्यकता है। मन और चित्त को शान्त रखने के लिए बेहद जरूरी है कि कुछ समय योग जरूर करे। अगर आप पहले से ही ध्यान करते थे तो उसे जारी रखे अगर नही करते थे तो आज से ही शुरू कर दे। आप रोज योगा के साथ प्राणायाम भी कर सकते है। क्योंकि अभी हमारे पास समय है। इस समय देश मे जो हालात है इसमे जरूरी है कि हम अपनी सोच और चित्त को सही और सकारात्मक रखे। इस समय क्राइम, या वायलेंस की चीजें न देखे और न ही शेयर करे। क्योंकि इससे हमारे भावनात्मक स्वास्थ्य पर प्रभाव पड़ता है।
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