छोटी बहन शादी के बाद रक्षाबंधन पर भाई को याद करती हुई कहती है कि....
आज भी वह बचपन बहुत याद आता है,
जब भी रक्षाबंधन करीब आता है।
वो तेरा बात बात पर लड़ना
मेरी चोटी खींच कर तेरा भाग जाना
मेरी गुड़ियों के कपड़े छुपाना
और हर वक़्त अपनी दादागिरी दिखाना
आज भी वह बचपन बहुत याद आता है।।
वो एक दूजे से बिल्कुल न बनना
पर हमेशा मुझे पापा की डांट से बचाना
कहा गई थी, कब गई थी, क्यों गई थी कहकर
अपने बड़े होने का रौब दिखाना
आज भी वह बचपन बहुत याद आता है।।
बहन की बात सुनकर भाई जवाब देता है......
अब बस भी कर ज्यादा भोली मत बना कर
वो तेरा बात बात पर रोते हुए माँ के पास जाना
बिना मतलब ही मुझे सबसे मार पड़वाना
रूठकर सबसे अपनी हर जिद मनवाना
और छोटे होने का हमेशा फायदा उठाना
आज भी वह बचपन बहुत याद आता है।।
अब अपनी मीठी बातों में किसी और को ही फसाना
अब न चलेगा तेरा यू नखरे दिखाना
पर बहना रक्षाबंधन आते ही मेरे पास जरूर चली आना
क्योंकि दिल मे दबा है, तेरी अनगिनत यादों का खजाना
आज भी वह बचपन बहुत याद आता है।।
और हां एक बात और...
ऐसा नही है कि तुझे ही मेरी याद आती है
तेरी याद में कभी कभी मेरी आँख भी भर आती है
साथ खेले, साथ पले, साथ ही बचपन से युवा बनें
अब ससुराल जाकर अपने भैया को मत भूल जाना
स्कूल से लेकर तेरे विदा होने तक सारी स्मृतियां झलक आती है
जब भी कभी अकेले में तेरी याद आती है
आज भी वह बचपन बहुत याद आता है
जब भी रक्षाबंधन करीब आता है।।
©बबिता कुशवाहा
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
Bahut yadd ati h
भावपूर्ण रचना
शुक्रिया @संदीप @ऋतु
Nice
बहुत सुंदर रचना
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