बचपन फिर चाहती हूँ

मैं वो बचपन फिर जीना चाहती हूँ

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Babita Kushwaha
Babita Kushwaha 31 Jan, 2021 | 0 mins read
Childhood Memories 1000poems

वो माँ की गोद,वो पापा के कंधे

वो पेड़ो के झुले, वो सखियों के संग हँसी ठिठोले

न कुछ पाने की आशा, न कुछ खोने का डर

वो कागज की नाव फिर बनाना चाहती हूँ

मैं वो बचपन फिर जीना चाहती हूँ।

अब तो कल की चिंता है, और अधूरे सपने है

पीछे लौटना मुमकिन नही, बहुत दूर अपने है

मंजिलों को ढूढ़ते कहा से कहाँ आ गए है

जो गुजर गया वो लौट नहीं सकता

इसलिए मैं दोबारा इस दुनिया मे आना चाहती हूं

मैं वो बचपन फिर जीना चाहती हूँ।

@बबिता कुशवाहा

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