सपनन के बीच उमर नइ आउत

बुन्देली भाषा कहानी

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Babita Kushwaha
Babita Kushwaha 27 Jun, 2020 | 0 mins read
Dream Education Bundelkhandi

गरिमा दो बच्चन की मताई हती। उको बेटा कोनऊ बड़ी कंपनी में नोकरी करत है और बम्बई में रात है। हल्की बिटिया रिया कॉलेज में पढ़त है। दोनउ बच्चा बड़े हो गए हते, ब्याहो के 30 साल पतो नाइ चलो कैसे गुजर गए ते। जब गरिमा को ब्याहों भओ तब बा फ़ैशन डिजाइनर की पढ़ाई कर रइ हती। बड़े लड़का सतीश ब्याओ के एक साल में ही हो गओ हतो। गरिमा को पति ऑफिस के कामन से चाये जब बाहर टूर पे रात ते। एइसे दोनउ बच्चन को जिम्मा और घर के बारे को काम सब गरिमा अकेली ही देखत ती। बड़े लड़का के होबे के बाद उये अपनो कोर्स बीचई में छोड़ने पड़ो। जो उको खुद को फैसलों हतो बा नई चाहत ती के उके बच्चा मताई के प्यार से वंचित रे जाए और कोनऊ दूसरे के सहारे पले सो गरिमा पूरे मन से बच्चन खा पालबे में लग गई।

आसोन उके दोनउ बच्चा उनके जीवन मे सफल हो गए है सो आज उखा अपने जीवन मे बड़ो अकेलो और खालीपन लग रओ है। कयेसे बेटा बारे दूसरे शहर में रात है और बिटिया अपनी कॉलेज की पढ़ाई में बिदि रात। अब उखा समझ नाइ आ रओ तो की बा अपनो अकेलोपन खा कैसे दूर करें।

अपनी मताई खा ऐसो उदास और अनमनो देख बिटिया रिया खा भी बोरओ लगन लगो तो। बा चाये जब अपनी मताई से बोलत ती की माँ आप अब सरतारी रात हो तो कछु करत काये नइया? लेकिन गरिमा हमेशा जेइ बोलत ती की अब ई उम्र में मैं का करिये?

"आप अपनों कोर्स काये नाइ पुरो कर लेती? अब तो आप सरतारी भी हो और घर परिवार की कोनऊ टेंशन भी नइया" रिया ने माँ से कई

गरिमा खा अपनों सपनो जो भीतर ही भीतर मर दब गओ तो याद आ गओ। घर परिवार की जिम्मेदारी और बच्चन के संगे इतनी रम गई हती की बा अपनो सपनो तो पुरो बेसर ही गई ती। लेकेन अब सरतारी तो भली है पर अब जिंदगी में बचो ही का है उमर भी 50 की होबे पे आई है। ई उमर में पढ़बो अच्छओ रेबे का? आदमी का केहे? ई लोगाई खा बुढ़ापे में पढ़बे को भूत चढ़ो है।

रिया मताई की चिंता तुरन्त समझ गई। लोगन खा जो सोचने है सोचन देयो। सपने पूरे करबे की कोनऊ उमर नाइ होत है। आप मोरे कॉलेज से ही अपनो कोर्स कर लाइयो। इसे आपखा ज्यादा दिक्कत न हुईए। आप मोरे संगे कॉलेज आबो जाबो भी कर सकत हो।

रिया की बातन से गरिमा खा नइ जिंदगी मिल गई हती। अपनो डिजाइन बनबे को सपनो जो उने बच्चन के लाने छोड़ दओ हतो आज ओइ बच्चन के वजे से दोबारा पुरो करबे को मौका मिलो तो और मनई मन सुकून भी हतो की आज बा अपने लाने भी कछु कर सकत है।

जिंदगी सबखा एक दुसरो मौका जरूर देत है। अपने सपने पूरे करबे खा अपने लाने जिबे खा। मोरी कहानी नौनी लगे तो कंमेंट जरूर करियो। धन्यवाद

स्वरचित, मौलिक, अप्रकाशित

@बबिता कुशवाहा

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