आज के समय मे एक बहु से हमेशा ये अपेक्षा की जाती है कि वो अपने ससुराल के लोगो को मायके के लोगो की तरह ही प्यार ओर सम्मान दे तो ससुराल के लोगो का भी तो फर्ज है कि बहु को बेटी की तरह रखें। यहाँ मैं कुछ पंक्तियो के माध्यम से ससुराल के लोगो से ये आग्रह करना चाहती हूँ कि.....
दुनिया वालो से अलग जा कर तो देखो, बहु भी बेटी बन सकती है बना कर तो देखो।
छोड़ दो वो छोटी सोच जो तुम्हे किचन में जाने से रोके,
बहु के लिए भी कभी चाय बना कर तो देखो।
तोड़ दो समाज का वो बंधन जो तुम्हारे दिमाग पर हावी रहे,
घूँघट के अंदर की उस लड़की को सलवार-कुर्ता पहना कर तो देखो।
वो भी तुम्हे माँ की ही तरह प्यार और सम्मान देगी,
पराये घर की उस बेटी को कभी गले लगा कर तो देखो।
जैसा बोओगे वैसा ही पाओगे चाहते हो अपनी लाड़ली को सुखी,
तो दूसरे घर की उस लाड़ली को अपना बना कर तो देखो।
करेगी वो सेवा तन-मन से तुम्हारे बुढ़ापे में,
कभी उसकी बीमारी मे उसके काम मे हाथ बँटा कर तो देखो।
दुनिया वालो से अलग जा कर तो देखो,
बहु भी बेटी बन सकती है बना कर तो देखो।
ऐसा क्या है जिसे आप अपने वंश को आगे बढ़ाने के लिए एक लड़की को अपने बेटे के लिए विवाह के लाते है उसे अपनापन नही दे पाते। क्यों उसे हमेशा यही कह कर की ये तो पराये घर से आई है उसे पारिवारिक मामलों में बोलने या अपना पक्ष रखने की आजादी नहीं दी जाती। तो क्या उसे आप सिर्फ अपने घर के काम करवाने के लिए ले कर आये है। अपनी खुद की बेटी जिसे दूसरे घर जाना है उसके लिए अलग नियम और वो बेटी जो अपना घर-बार छोड़कर आपका घर बसाने आई है उसके लिए अलग नियम। वाह रि दुनिया।।।।।
दोस्तों आपको मेरी ये रचना पसंद आये तो लाइक ओर कमेंट करके अपनी प्रतिक्रिया जरूर दें। धन्यवाद
@बबिता कुशवाहा
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
No comments yet.
Be the first to express what you feel 🥰.
Please Login or Create a free account to comment.