बुंदेली कहानी

जिबे को सहारो

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Babita Kushwaha
Babita Kushwaha 27 May, 2020 | 0 mins read

"मोये मर जान दे माई अब मोये नई जीने" सिसकत प्रिया अपनी मताई से बोली। जब माइ ने उके हातन से जहर की शीशियां छीन के फेंकी।

अबे दो देना पहले ही प्रिया के आदमी की मोटरसाइकिल हादसा में मौत भई ती। उके बाद से प्रिया सबरी तरह से टूट गई ती। भगवान ने प्रिया खा दोहरो सदमा दओ तो। ब्याओ के 12 साल होबे के बाद भी उन खा कोनऊ सन्तान नइया ती ओर अब दूजो आदमी के जाबे के सदमा से प्रिया की जिबे को कछु आसरो नई बचो तो। जब तक पति संजय जिंदा हतो उने खुद के प्यार से प्रिया खा कबहु खालीपन को एहसास नई होंन दओ।

पर अब उ प्यार करबे बालो जीवनसाथी ही नइया तो मोरो जिबे को का मकसद।

तबहु फोन की घँटी बजी।

"हेलो! हा मैडम जी अपन केस जीत गए है। अपन 6 महीना से जी बिटिया खा गोद लेबे की कोशिश कर रये ते बो बिटिया काल आपकी ओली में हुईए।" वकील ने बोल के फोन रख दओ।

अब प्रिया की आँखन में तनक चमक आ गई ती। बा बिटिया प्रिया के जीबन में आशा की किरण ले के आई ती। अब प्रिया का अपनो सहारो मिल गओ तो और जिबे को नओ मकसद भी।

हमाई बुंदेली कहानी आपका कैसी लगी जरूर बताएं।

स्वरचित एवं मौलिक

@बबिता कुशवाहा

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