जब इरफान खान के जाने की बात सुनी तो मन बहुत दुखी था इतना कम उम्र में उनका यू चले जाना हर किसी को दुखी कर गया। अभी इरफ़ान खान की मौत के सदमे से उभरे भी न थे कि देश के एक और सदाबहार अभिनेता ने हमारा साथ सदैव के लिए छोड़ दिया। एक और हमारा देश अभी कोरोना की जंग लड़ रहा है और दूसरे और हमारे इतने उम्दा और बेहतरीन कलाकारों का साथ छोड़ जाना फिल्मी जगत के साथ साथ उनके चाहने वालो के लिए भी किसी सदमे से कम नही है। दोनो ही अभिनेता में एक बात कॉमन थी वह थी कैंसर। इरफान खान न्यूरो इंडोक्राइन ट्यूमर (कैंसर का ही एक रूप) था वही ऋषि कपूर जी को ल्यूकेमिया (ब्लड कैंसर) से जूझ रहे थे। तमाम तरह की टेक्नोलॉजी और अच्छे से अच्छा इलाज के बाद भी डाक्टर्स उन्हें नही बचा सके।
अपनी बीमारी के बारे में जानते हुए भी वो अंत तक काम करते रहे सहज रहे। अगर हमें पता चले कि हमें कैंसर जैसी बडी बीमारी है तो हम शायद इलाज के पहले ही हार मान ले लेकिन दोनों ही इस बीमारी से बड़ी हिम्मत के साथ अंत समय तक लड़ते रहे।
यहाँ हम सभी समय के ही गुलाम है जीवन मे कुछ सत्य हो न हो पर मृत्यु शाश्वत सत्य है कि जो आया है उसे जरूर जाना ही है बस किसी का बुलावा पहले आ जाता है तो किसी का बाद में। ऋषि कपूर सर की बेटी से मेरी गहरी संवेदना जुड़ी हुई है। वो अपने पिता के अंतिम समय मे उनके पास न पहुंच सकी कारण कुछ भी हो पर अपने पिता के अंतिम दर्शन न कर पाने से बड़कर एक बेटी की कोई पीड़ा नही हो सकती। मौत अमीरी गरीबी नही देखती। हम अक्सर कहते है कि गरीब था इसलिए मर गया क्या इरफान खान या ऋषि कपूर जी के पास पैसों की कमी थी.? क्या उन्हें वक़्त पर इलाज नही मिला.? क्या उनके परिवार ने उन्हें बचाने की हर सम्भव कोशिश नहीं कि होगी.?
समय सबसे अधिक बलवान है रुपए पैसे इलाज सभी समय के आगे बहुत ही तुच्छ है।
लेकिन इरफान खान और ऋषि कपूर हमारे बीच अपने किरदारो के रूप में हमेशा ही रहेंगे। उन्होंने जो जगह अपने फैन के दिलो में बनाई है वो जगह उनके जाने के बाद भी सदैव बनी रहेगी। अंत मे यही कहना चाहती हु की जीवन का कोई भरोसा नही है। बचपन मे हम किसी के भरोसे जीते है बड़े होने पर किसी के लिए जीते है अरे भई दुसरो के लिए ही जीते जीते एक दिन प्राण पखेरू उड़ जाएंगे और आप कुछ भी नही कर पाएंगे। जीवन एक बार मिला है उसे बिंदास जिये, खुल कर जिये, अपने सपनो के लिए जिये, अपने हर ख्वाबों को पूरा करने के लिए जिये। और जाने से पहले अपनी पहचान बना जाए। जिससे हमारे जाने के बाद जो भी हमें सोचे तो यही कहे वाह क्या आदमी था जो अपने एक जीवन मे भी हजारों बार जी गया।
मौलिक एवं अप्रकाशित
@बबिता कुशवाहा
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