लॉक डाउन में जब हम अपने अपनो के साथ दिन भर समय बिता रहे है तो क्यों न हम भी बच्चे बनकर बच्चो में शामिल हो जाये।
आज के समय मे सब बच्चो को पढ़ाई पढ़ाई और सिर्फ पढ़ाई का प्रेशर देते है। यहां तक कि गर्मियों में होने वाली छुट्टियों में भी पेरेंट्स पढ़ाई का ही रोना लिए रहते है। तमाम आधुनिक सोच के बावजूद भी आर्ट और क्राफ्ट की और बच्चे के रूझान को बढ़ावा नही दिया जाता। पर आर्ट और क्राफ्ट की मदद से बच्चे न सिर्फ व्यस्त रहते है बल्कि उनकी रचनात्मकता भी बढ़ती है।
आज मेरा बेटा बहुत खुश था। आज मैने बेटे के साथ आर्ट और क्राफ्ट एक्टिविटी की। वैसे तो बेटा अभी ढाई साल का है लेकिन मुझे उम्मीद नही थी वह इस एक्टिविटी को इतना एन्जॉय करेगा। क्वारंटाइन में बच्चो के साथ खुद को बिजी रखने का यह बहुत अच्छा तरीका है। माना हर पेरेंट्स रचनात्मक नही होते पर आज के बच्चे हमसे या यूं कहें हमारी उम्मीद से कही ज्यादा रचनात्मक होते है। कम से कम हम उनके साथ उनकी मदद तो कर ही सकते है।
आज जब मैंने अपने बेटे के साथ बैठकर ड्राइंग और कलर किया मुझे देखकर अपने छोटे छोटे हाथों से उसने भी कलर करने की कोशिश की। मम्मा यह क्या है? मम्मा इससे क्या बनेगा? मम्मा यह कलर कहा करना है? मम्मा मुझसे ठीक से नही हो रहा आप हेल्प कर दो...... उसकी यह सभी बाते मेरे होंठो पर अभी भी मुस्कान ला देती है। बहुत ही उत्साह के साथ उसने मेरे साथ समय बिताया। आज कल वह रोज खुद से ही कहता है मम्मा चलो ड्राइंग करते है.... मुझे पेंटिंग करना है... आप भी मेरे साथ बैठो... यकीन मानिए इस उम्र में जब आपका बच्चा आपसे खुद कहे कि मेरे साथ ड्राइंग करो, मेरे साथ बैठो... मेरे मातृत्व की खुशी का ठिकाना नही रहता।
अगर आपके बच्चे की रुचि नही है तो उसे जताना होगा कि यह बोरिंग नही है बल्कि मजेदार चीज है। बच्चे के साथ तरह तरह की चीजें बनाने, कलर करने या कुछ नया बनाने में बच्चे की मदद करने मात्र से हम उसकी रचनात्मकता को बढ़ा सकते है। साथ ही आपका बच्चे के साथ रिश्ता भी गहरा होगा। अगर आप चाहते है कि आपका बच्चा मोबाइल और टीवी आदि से दूर रहे और उसके दिमाग का विकास हो तो उसके साथ बैठकर क्राफ्ट से जुड़ी गतिविधियां नियमित रूप से जरूर करें।
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