इस क्वारंटाइन में घर मे रहकर समय निकालना भी अपने आप मेे बहुत बड़ा टास्क है। दिन भर घर मे रहकर बच्चे क्या बड़े भी बोर हो जाते है। टीवी सीरियल मुझे ज्यादा पसंद नही। टीवी पर मेरा समय या तो मूवी देखने या कोई रियलटी शो देखने मे ही पास होता है। फिलहाल लॉक डाउन के कारण रियलिटी शो के कोई नए एपिसोड नही आ रहे तो सोचा कोई फ़िल्म ही देख ली जाए। पति देव भी पास में आ कर बैठे बोले चलो कोई मूवी देख ली जाए टाइम पास ही हो जाएगा। बेटा सो रहा था इसलिए मेरे पास 2-3 घंटे का पर्याप्त समय था अगर वो जाग रहा होता है तो रिमोर्ट उसके हाथ मे ही रहता है तब हमे अपना शो देखने की परमिशन नही होती।
चैनल बदलते बदलते मेरी मेरी नजर एक नाम पर आ कर ठहर गई। "102 नॉट आउट" हा यही नाम था फ़िल्म का। फ़िल्म का नाम ही इतना प्रभावी था कि हम खुद को इसे देखने से रोक नही पाए। यह फ़िल्म हर जनरेशन के लोगो को एक सिख देने वाली है। यह फ़िल्म वास्तविकता के बहुत ही करीब है।
दिल तो बच्चा है जी सच कहा है उम्र भले कितनी भी हो जाये पर दिल को सदैव बच्चा ही रहना चाहिए। जीवन एक बार ही मिलता है तो क्यों न इस जीवन को खुल कर जिया जाए। जिंदगी के एक पढ़ाव मे तो सबको ही बूढ़ा होना है पर बूढ़ापे की चिंता में हम शरीर के बुढ़ापे के पहले ही दिल को बूढ़ा बना लेते है और जिंदगी का मजा नही ले पाते। दूसरी बडी बात जो इस फ़िल्म से सीखी की एक बाप न जाने कितने ही संघर्ष करके बेटे को पढ़ाता लिखाता बडा करता है और बेटा बड़ा होकर दूसरी दुनिया मे उड़ जाता है। बाप के संघर्ष का बेटे को कोई मोल नही। आज के समय मे भी यही देखने को मिलता है। बड़ा होने के बाद बेटे को सिर्फ उनकी प्रोपर्टी से ही लगाव रहता है। पर कुछ भी हो जाये हम कितने भी बड़े आदमी क्यों न हो जाये माँ बाप के संघर्ष को कभी न भूलना चाहिए। इस फ़िल्म ने मुझे आज जीवन की वास्तविकता से परिचिय करवा दिया। तो आज का दिन मैने एक बहुत ही शानदार फ़िल्म देख कर व्यतीत किया।
आप भी इस लॉक डाउन में कोई भी फ़िल्म देखकर अपनी बोरियत दूर कर सकते है। तो क्वारंटाइन में परिवार के साथ अपनी मनपसंद मूवी जरूर देखें।
धन्यवाद
@बबिता कुशवाहा
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
No comments yet.
Be the first to express what you feel 🥰.
Please Login or Create a free account to comment.