लॉक डाउन ने लोगो को एक नए जीवनशैली से परिचय कराया है। हर कोई डर और ख़ौफ़ के माहौल में है। सब सोचते है कि घर पर रहे तो कोरोना से बच सकते है हा यह सही है लेकिन तमाम सावधानी और सुरक्षा रखने के बाद भी मन मे नकारात्मकता प्रवेश कर ही जाती है। कल क्या होगा, ऐसा कब तक चलेगा, कोरोना मरीजो की संख्या बढ़ती ही जा रही है आदि सवाल हमारे मन मे नकारात्मकता भर देते है।
लेकिन समय एक सा कभी नही रहता आज बुरा समय है तो कल अच्छा समय भी आयेगा इसलिए क्वारंटाइन को मजबूरी न समझते हुए मस्ती के साथ दिन गुजारें।
कुछ लोगो को यह अफसोस रहता है कि जीवन गुजर गया पर जिंदगी की भागदौड़ में कभी अपनो के साथ वक़्त नही गुजार पाएं या कभी स्वयं को समय नही दे पाए हमेशा परिवार और जिम्मेदारियों में ही लगे रहे। अब हमें अपने परिवार के साथ पूरा पूरा दिन बिताने का मौका मिला है तो उसे नेगेटिविटी के रूप में व्यर्थ न जाने दे। अपने बच्चो को ज्यादा से ज्यादा समय देकर उनके दोस्त बनें। हर माँ बाप अपने बच्चे को लाड़ प्यार तो करते है लेकिन बच्चों के दोस्त नही बन पाते यही कारण होता है कि बच्चे छेड़खानी, बड़ती उम्र में होने वाले शारिरिक और मानसिक बदलावों की परेशानी आदि माता पिता से शेयर करने में हिचकिचाते है। पहले तो हमारे पास काम के बहाने थे लेकिन अब हमारे पास इतनी फुर्सत है कि बच्चो के साथ बैठकर उनकी हर छोटी छोटी बात, रुचि आदि के बारे में जान सकें। परिवार में अपने माता पिता या बुजुर्गों के पास बैठकर उनकी परेशानी, तकलिफो, उनकी पसन्द के बारे में पूछे। यकीन मानिए आपको खुशी जरूर मिलेगी। इसलिये आने वाले दिनों में नेगेटिविटी को छोड़कर अपने बच्चो और परिवार के साथ मौज मस्ती के साथ दिन गुजारे। घर पर रहे स्वस्थ रहें।
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