अपने पिछले ब्लॉग में मैने लिखा था की किस तरह कोरोना का डर मेरे पतिदेव पर हावी को गया था लेकिन अब पतिदेव न्यूज़ और सोशल साइट्स के बजाय परिवार के साथ समय बिता रहे है और फिलहाल कोरोना की खबरों से दूरी बना ली है। इसका मतलब यह नही की उन्होंने कोरोना वायरस के प्रति लापरवाही शुरू कर दी है वो सजग है। बाहर जाते समय और घर पर जरूरी सभी सावधानी बरतते है। मगर उन्होंने नकारात्मकता को छोड़ सकारात्मकता का रास्ता अपना लिया है।
बहुत बड़ा सत्य है कि जीवन कही ठहरता नही और सब कुछ कभी खत्म नही होता। लेकिन कोरोना वायरस जैसे संकटो से जीवन मे कभी कभी ऐसे क्षण आ जाते है जब लगता है मानो सब खत्म हो रहा है। लेकिन किसी ने कहा है कि उम्मीद की मद्धिम लौ नाउम्मीदी से कही बेहतर है। बस जरूरत कदम उठाकर चलने की होती है, विश्वास की शक्ति को जागृत करने की होती है। पति को इस नकारात्मक की सोच से उबारने के लिए मैंने उन्हें बिजी रखने का सोचा। अब वो बेटे के साथ समय बिताते है, उसके साथ खेलते है, उसके साथ कार्टून भी साथ मे देखते है। एक पत्नी होने के नाते इससे बड़ी खुशी मेरे लिए और क्या हो सकती है।
मेरा मानना है कि यदि आप खुद को पॉजिटिव रखना चाहते है तो अपने आसपास ऐसा वातावरण बनाना होगा जो पॉजिटिव हो। आप अपनी लाइफ से ऐसी चीजों को दूर कीजिये जिनकी वजह से आपकी सोच में नेगेटिविटी आती हो। जैसा कि मेरे पति ने किया मोबाइल और कोरोना से डराने वाली न्यूज से दूरी बना कर।
मेरे लेख को समय देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।
@बबिता कुशवाहा
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