कोरोना के संकट के बीच एक और संकट जिससे लोग घबरा रहे है वह है खाने की समस्या। बहुत से लोग ऐसे होंगे जिन्होने 21 दिन का सोच कर कई महीनों तक का राशन स्टोर कर लिया होगा लेकिन बहुत से लोग ऐसे भी है जिनके पास ये बहुत ही सीमित है।
ऐसे में हम कह सकते है कि हमारी किचन भी लॉक डाउन है हमारे पास सीमित राशन है सीमित सब्जियों में ही हमें अपने परिवार के लिए खाना तैयार करना होता है। आज कल मेरे साथ भी यही हो रहा है मैं फ्रिज खोलती हु उसमे जो भी सामग्री मिलती है उसी से खाना बना लेती हूं। वैसे खाना बनाना कोई महान कला नही है जैसा हम हमेशा लोगो से सुनते आए या टीवी में देखते रहते है बल्कि यह बुद्धि और रचनात्मकता कार्य है की कैसे आप सीमित चिजों इस्तेमाल कर खाने योग्य डिश बना सकते है। जैसे आप बचे हुए चावल या रोटी से फोहा बना सकते है। पहले हम यही बचा खाना अपने घर के नोकरो या जानवरों को दे देते थे लेकिन इस लॉक डाउन ने हमे खाने की महत्ता को समझा दिया है। अब हम एक भी अन्न बर्बाद नही करना चाहते इसलिए पहले से ही ध्यान में रखकर भोजन पकाते है। अगर खाना बच जाए तो हम इसे दोबारा नए तरीके से इस्तेमाल कर नई डिश तैयार कर सकते है ।
काम काज और भाग दौड़ के चलते पहले हमें इतना समय नही मिलता था कि हम नए रचनात्मक चीजे करे। पर लॉक डाउन ने हमे सिखा दिया है कि हम भी नई रचनात्मक चीजे किचन में भी ट्राय कर सकते हैं। जैसे बचे ब्रेड को अंडे के साथ मिला कर ब्रेड भुर्जी तैयार कर सकते है। रात की बची हुई सब्जी को मोर्निंग में बेसन और प्याज मिलाकर उसके कुरकुरे भजिये बना सकते है। तो क्वारंटाइन में घबराये नही और अपनी कला किचन में भी दिखाए। घर पर रहे, स्वस्थ रहे।
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