लोगों की बेस्वाद सी जिंदगी में मैं स्वाद घोलता हूँ ।
छोटी-सी कढाई में छनछनाते पानी और तेल की बूंदों में मैंने अदरक और लहसुन का पेस्ट झोंका ही था कि,
"मिस्टर और मिसेज बत्रा का आर्डर है, तीखा कम ,नमक बिलकुल नहीं हमेशा की तरह।"
वेटर आर्डर की चिठ्ठी टेबल पिन में खोंसकर बोला ।
बुढ़ापे में पति-पत्नी के रिश्ते में नमक बढ़ जाता है तो शरीर के नमक का संतुलन रखने के लिए खाने में नमक कम करना पड़ता हैं ।
और तीखापन ?
वह तो शादी के कुछ सालों बाद ही इतना बढ़ जाता है कि बाकी की बची जिंदगी नोकझोंक के तीखेपन से चला ली जाती है ।
"मिस्टर और मिसेज बत्रा का आर्डर तैयार है।"
मैं अगले आर्डर की तैयारी करता हुआ बोला ।
"तेरे को मालूम है ? वेटरों में होड़ लगी होती है मिस्टर और मिसेज बत्रा को अपनी टेबल की ओर आकर्षित करके सर्व करने की "
मेरा सहकर्मी सलाद काटते हुए मुझे बताने लगा ।
"क्यों?"
कभी-कभी केवल भाप सूंघकर पता लगाया जा सकता है, कि डिश में नमक और मिर्च सही हैं या नहीं ?
मैंने अपनी नाक शोरबे से निकलती भाप की ओर स्थिर करके जोर की साँस लेते हुए पूछा।
"शायद वे वृद्ध दम्पति बेहद पैसेवाले हैं, जब भी तेरी बनाई डिश खाते है वेटर को पांच सौ रूपये टिप देकर जाते हैं।"
यह बोलकर सहकर्मी मेरे चहेरे के भाव पढ़ने के लिए मेरी ओर देखने लगा ।
"कभी वह दोनों इस जगमगाते शहर के नामी वकील थे और चाहते थे कि उनकी इकलौती औलाद भी उनके नक्शेकदम पर चले लेकिन...उनके इसी जूनून की वजह से उनकी संतान ने घर छोड़ दिया।" मैंने उसके मन में छिपी जिज्ञासा को शांत करने की कोशिश की ।
"तो अब इस कहानी में ये तीन सितारा होटल और पांच सौ की टिप कहाँ फिट बैठते हैं ?"
मेरे सहकर्मी की एक कमजोरी थी की वह पकने से पहले किसी भी डिश के स्वाद का अंदाजा लगाने की कोशिश करता था ।
कभी-कभी नमक और तीखेपन का संतुलन बनाने के लिए शक्कर की जरुरत पड़ती है ।
मिस्टर और मिसेज बत्रा की जिंदगी से शक्कर गायब थी ।
"उनकी इकलौती संतान मैं ही हूँ ।"
मैंने शोरबे में कुछ दाने शक्कर के डाल दिए ।
#Anil_Makariya
Jalgaon (Maharashtra)
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
👏👏
कुछ अलग सबसे अलग रचना
बेहद खूबसूरत, दिल को छूती रचना
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