रंग★
रजत धवल शुभ्र चंद्रमा-सा
लाल सुर्ख रक्ताभ सूरज-सा
हरा हरित हरियाला हिरामन-सा
पीला पित पीताभ पीतांबर-सा
हर्षोल्लास भरते जीवन में ये रंग
विवधता अनेकता दर्शाते ये रंग
यादें समेटते तो कभी बहुत रुलाते
धुलकर भी ना मिट पाते मन से ये रंग
कोशिश की मैंने बहुत बचने की
बचकर भी भिगो ही देते हैं ये रंग
रजत कर दे ह्रदय चंद्रमा-सा
लाल कर दे हर्ष सूरज-सा
हरा कर दे चमन हिरामन-सा
पीला कर दे वस्त्र पीतांबर-सा
भरकर पिचकारी रंग दे यह जीवन
ताकि छूटे जीवन ना छूटे ये रंग
-अनिल मकरिया
जलगांव (महाराष्ट्र)
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
एक बेजोड़ लघुकथाकार की कविता भी बेजोड़ ही होती है👏👏
bahut badiya
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