रंगरेजिन

एक विधवा रंगरेजिन और उसके गायब हो चुके रंगों की कथा।

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anil makariya
anil makariya 19 Mar, 2021 | 1 min read
Colors Hindi

रंगरेजिन★


"कभी जिंदगी में इस एक रंग के अलावा भी रंग पहना है क्या?"

लाल रंग की साड़ी में सजी शब्बो ने रंगरेजिन पर ताना कसा।

"जब लोगों के कपड़े मेरा मरहूम रंगरेज रंगता था न तो सारे रंग मेरे ही लिबास से चुनता था।" रंगरेजिन ने शब्बो के हाथ से बदरंग कपड़े लेते हुए जवाब दिया।

"अब कहाँ गए तेरे लिबास के रंग ?"

शब्बो ने तल्खी से पूछा ।

"कुछ बच्चों के इंद्रधनुषी सपनों में चले गए और कुछ तुम जैसी सखियों के कपड़े रंगने में और जो बचे वह यह है खुशियों के रंग!"

रंगरेजिन ने हंसते हुए अपने हाथ में छुपा हुआ लाल रंग शब्बो के गालों पर मल दिया।

"होली मुबारक हो शब्बो!"

"तुम्हें भी हमारी रंगरेजिन!"

मुस्कुराती हुई शब्बो ने भी लाल रंग से सने अपने गाल रंगरेजिन के गालों से सटा दिए।


#Anil_Makariya

Jalgaon (Maharashtra)


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anil makariya

Anil_Makariya

Comments

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  • Nidhi Gharti Bhandari · 3 years ago last edited 3 years ago

    खूबसूरत रचना 👌👌

  • Kanak Harlalka · 3 years ago last edited 3 years ago

    बहुत बढ़िया रचना..

  • Ankita Bhargava · 3 years ago last edited 3 years ago

    स्त्री ही स्त्री के दर्द को समझ सकती है मगर आपने भी समझ लिया

  • Kusum Pareek · 3 years ago last edited 3 years ago

    बहुत उम्दा रचना👍👍👏👏👏

  • Lakshmi Mittal · 3 years ago last edited 3 years ago

    शानदार रचना👏👏

  • Sonnu Lamba · 3 years ago last edited 3 years ago

    वाह

  • Kumar Sandeep · 3 years ago last edited 3 years ago

    शिक्षात्मक👌👌

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