रामराज (लघुकथा)
राज दरबार लगा हुआ था । आधुनिक रावण सत्ता के नशे में चूर अपने चमचों के साथ आनेवाले चुनाव के विषय में मंत्रणा कर रहा था।
"15 साल से निर्विरोध चुनकर आ रहा हूँ, इसबार कौन आ गया बे मेरे खिलाफ पर्चा भरने?"
बाहुबली नेता अपने चमचों के बीच विदेशी सोफे पर अपना पहलू बदलते हुए बोले।
"सरकार! स्वर्गीय जानकीप्रसाद की मेहरारू है, सामाजिक कार्यों से जुड़ी है।"
मेघू ने शीश नवाकर उत्तर दिया ।
"हरामखोरों तो डरा काहे रहे हो ? ज्योतिष ने बोला था न मेरे राज का अंत 'राम' ही कर सकते है।
अब भगवान कब से औरत का अवतार लेने लगे? हा... हा.. हा!"
नेता का अट्टहास उसके राजदरबार रूपी घर में गूंजने लगा ।
"लेने लग गए है नेता जी! क्योंकि अब रावण नपुसंको के रूप में आने लगे है।
जानकी प्रसाद की मेहरारु का नाम है 'रामदेवी जानकीप्रसाद' इस बार आपके घर का वोट भी राम को ही जायेगा।"
नेता की पत्नी सुपारी काटते हुए जोर से बोली।
#Anil_Makariya
Jalgaon (Maharashtra)
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
कमाल की लघुकथा
Wah bahut badhiya..Jai shri ram🙏
निःसंदेह काबिलेतारीफ लघुकथा
कमाल की लघुकथा, 👌👌👌👌👌
Wahh... Congratulations
सुंदर चित्रण
Please Login or Create a free account to comment.