आखिरकार पेड़ों को बचाने की कवायद के चलते लोगों ने लकड़ी के फर्नीचर का उपयोग छोड़ने की बजाए किताबों को ही छोड़ दिया, जिसके फलस्वरूप कलम का अस्तित्व भी बेमानी हो गया।
कलम और कागज़ की जगह मोबाइल का इस्तेमाल बढ़ने लगा और उसके साथ ही बढ़ने लगी कलम और किताबों की कब्र की गहराई।
पूरी तरह दफ़न होने से पहले दोनों की हँसी चारों तरफ गुंजायमान थी।
इंसान द्वारा वजह पूछने पर किताबों ने सालों पहले लिखी, मशीनों और कृत्रिम प्रज्ञा द्वारा इंसानों के अस्तित्व को भी उसी कब्र में दफनाने की कहानी सुना दी ।
(स्वरचित एवं मौलिक)
#Anil_Makariya
Jalgaon (Maharashtra)
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
Superb writing...
उत्कृष्ट सृजन
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