अश्वत्थामा

केवल अक्षम्य पाप ही इंसान को बना सकता है सबसे घृणित व्यक्ति ।

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anil makariya
anil makariya 28 Jun, 2020 | 1 min read
Short story

द्वितीय विश्वयुद्ध जापान के आत्मसमर्पण के साथ ही ख़त्म हो गया लेकिन परमाणु विकिरण का शिकार सू ची लगभग साठ दर्दनाक शल्यक्रियाओं के बाद भी अपनी विभत्स काया लिये जीवित था।

"जाने किस मिट्टी का बना है, जो इतने विकिरण और शल्यक्रियाओं के बाद भी जीवित है ?" डॉक्टर आंग सू उसके शरीर के घाव देखकर बोली।

अचानक शरीर ने हरकत की और अपनी इकलौती आँख खोली।

"ला..लाखों लोगों की पी..पीड़ा का दंड भी अनंतकालीन ही होना चाहिए न ?" सू ची डॉक्टर से मुख़ातिब था ।

"ऐसा कौनसा अपराध किया है आपने ? जो लाखों लोगों की पीड़ा का कारण बना ?" आंग सू ने उसके रिसते घावों को स्प्रिट से साफ़ करते हुए पूछा।

"मैं ही वो गु..गुनाहगार हूँ जिसने नागासाकी और हि.. हिरोशिमा की घनी आबादी के निशानदेही करते नक़्शे अमेरिका को भेजे क्योंकि मेरे बा..बाप को जापान के सम्राट हिरोहितो ने देशद्रोह के इल्जाम में मौत की सजा दी थी।"

"आह......ह...ह!" असीमित वेदना से कराहता जिस्म दोहरा हुआ जा रहा था।

"म..म..मैंने अपने बाप की मौत की सजा लाखों बेगुनाह देशवासियों को दी है, उन्हीं बेगुनाहों की पीड़ा अब मुझे अनंतकाल तक मरने नहीं देगी।.... आह..ह...ह!"

वेदना सहन न कर पाने की वजह से शरीर पुन: चेतना शुन्य हो गया।

आंग सू की आँखों में अश्रु जरुर थे लेकिन अब उसे सू ची से घृणा हो रही थी।


#Anil_Makariya

Jalgaon (Maharashtra)

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anil makariya

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Comments

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  • Kumar Sandeep · 4 years ago last edited 4 years ago

    आपकी रचना सबसे अलग होती है सर।बहुत खूब

  • Nidhi Gharti Bhandari · 4 years ago last edited 4 years ago

    वाह....एक अलग सी रचना 👌बेहतरीन लेखन स्तर है आपका।

  • Ankita Bhargava · 4 years ago last edited 4 years ago

    तो क्या पाप के रूप में अश्वत्थामा हमारे भीतर ही जीवित है??

  • Sushma Tiwari · 4 years ago last edited 4 years ago

    गजब

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