आस्था

Belive in god

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आनंद रॉय
आनंद रॉय 29 Jun, 2020 | 0 mins read

मैं बचपन में बहुत ही कम पूजा पाठ करता था। इसका ये मतलब नही की मैं भागवान में आस्था नही रखता था। मैं उस वक़्त याद करता था भगवान को जब मुझे कोई तकलीफ होती थी। और जब मैं ठीक रहता था,तो उन्हें भूल जाता था। यह सिलसिला अच्छे दिनों तक चला। फिर एक बार मैं एक प्रवचन सुन रहा था,जिसमे एक स्वामी जी बोल रहे थे ईश्वर को इंसान तब ही याद करता है जब वो बुरे दौर से गुजरता है,लेकिन जैसे ही वह उस सुख को प्रप्त करता है वो ईश्वर को भूल जाता है। जिससे भगवान भी समझ जाते हैं कि ये प्राणी सिर्फ बुरे वक्त पर ही मुझे याद करता इसलिए कभी कभी भगवान उसकी परीक्षा भी ले लेते हैं। ईश्वर तो हमेशा हमारे लिए तैयार रहते हैं। पहले तो अपने मन मे ईश्वर जिसे आप मानते हैं उनके प्रति विशवास पैदा करना होगा। अगर हम पहले ही हार मान लेंगे तो ईश्वर भी हमे कुछ दिनों के लिए अपने हाल पर ही छोड़ देंगे।तब से मैं समझ गया ईश्वर के प्रति हमेशा अपने मन मे आस्था का दीपक जलाए रखना है। इसके लिए जरूरी नही की हम मंदिर ही जाए। हम अपने मन के मंदिर में बस उन्हें बसा के रखे और अपना कार्य करते रहे। किसी को कष्ट न दे ईश्वर के बताए सही मार्ग पर चले।मैं बाबा भोले में दिल से आस्था रखता हूँ, मैं जानता हूं सब देवता एक ही भगवान के अलग अलग रूप हैं। मैं जनता हूँ, मैं आज जो कुछ भी हूँ, वो सब बाबा भोले के प्रति दिल से आस्था रखने का ही फल है। जो वो मुझे हमेशा सब संकट से दूर रखते हैं। जय भोलेनाथ।




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