रोटी गोल होती है
बिल्कुल गोलाकार
पृथ्वी की तरह
जिस प्रकार पृथ्वी
अंदर की ताप को
सहन करती है
उसके बाबजूद
ममतामयी माँ की भांति
अपने ऊपर बसे
सभी छोटे-बड़े जीव-जंतुओं
पेड़-पौधों को सब कुछ
प्रदान करती है।
ठीक उसी प्रकार
एक रोटी जो खुद को
हर रोज आँच पे
पकाती है
उसके पकने में भी
शामिल है
खेत,किसान,हल-बैल,बीज
पानी,हवा,धूप,मेहतन,फसल,
हर एक प्रक्रिया
फिर पिता की मेहनत की कमाई
जिससे खेतों में होने वाले फसलें
आटा बन कर घरों तक पहुँचती है
फिर गुथी जाती है माँ के प्रेम के साथ
जब माँ की ममता उसे
गर्म आँच पर पकाती है
रोटी भी माँ की ममता के
सामने अपनी सभी कष्टों को
भूल प्यार से भरी फुल्के
के साथ पकती है।
कुल मिलाकर रोटी
पृथ्वी पर बसी दुनिया की
एक अनमोल दुनिया है
जिसमें सबकुछ शामिल है।
____आनंद रॉय
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