मेरा ईश्वर

मेरा ईश्वर

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आनंद रॉय
आनंद रॉय 23 Sep, 2020 | 1 min read

तुम पूजते रहो घर के दीवारों

पर टंगी तस्वीरों को

और ढूँढते रहो 

उस तस्वीर में अपने ईश्वर को!

मैं भी उन तस्वीरों को पूजूँगा

लेकिन उससे पहले मैं निकल जाऊँगा

किसी फुटपाथ की ओर

किसी खेत की ओर

किसी झोपड़ी की ओर

जहाँ मेरा ईश्वर न जाने कितने दिनों से भूखा-प्यासा सोया है।

मैं अपने ईश्वर के संग उसके 

टूटे-फूटे कटोरे में पेट भरकर

किसी का जूठा खाऊँगा 

उसके संग हँस-हँस के बातें करूँगा

कभी उसके संग रो लूँगा

फिर सो जाऊँगा उसी फुटपाथ पर

अपने ईश्वर से लिपटकर ठिठुरती रात में!


फिर सुबह होकर चला जाऊँगा 

उसके संग खेतों में और उसके 

कठोर हाथों को आराम दूँगा

जो कभी मेरे हाथों की तरह नाज़ुक थे

और थाम लूँगा अपने हाथों में कुदाल!

जब मैं अपने ईश्वर से मिल कर

घर लौटूँगा तब तस्वीरों वाले ईश्वर की

पूजा करूँगा और उस ईश्वर से मांग लूंगा

अपने ईश्वर के लिए सबकुछ।।


 __आनंद रॉय

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