मुझ से पूछा किसी ने
गाँव में क्या है?
मैं मुस्कुराते हुए कहा।
गाँव में मेरे जीवन की लंबी यात्रा है।
गाँव में मेरे बचपन से वयस्क होने की
पूरी कहानी है।
गाँव में मेरा खपरैल वाला पहला स्कूल है,
जहाँ जमीन पर बैठ सब कुछ सीखा है।
गाँव में प्रेम,भाईचारा और संस्कर है।
गाँव में खेतों की ओर जाने वाली
पगडंडियाँ है।
उस खेतों में हल से बँधे बैलों के गले
में टुन-टुन मधुर ध्वनि से सब थकान
दूर करने वाली घंटी है।
गाँव में अपने बैलों के साथ बँधे हर के
फावड़ा से धरती को चीर कर अन्न
उपजने वाले हमारे अन्नदाता हैं।
गाँव में हरे-भरे पेड़ पर बैठ चु-चु करने
वाली चिड़ियों का वसेरा है।
गाँव में गंगा जी की धारा है,गंगा की
उल्टी धारा में तैरने वाला गाँव
का साहसी युवा है।
गाँव में गाय-भैंस, बकरी,गोबर और
जाड़े का घुर है।
गाँव में कच्ची सड़कें हैं और उससे
उड़ने वाला धूल है।
गाँव में बरियारपुर वाली चाची और
भागलपुर वाली भौजी है।
गाँव में दुर्गा-दशहरा का मेला,होली,ईद
और छठ मैया का गीत है।
और बताऊं क्या है?
गाँव में बाढ़, सूखा के कारण
हर साल पड़ने वाला अकाल है।
गाँव में किसान भुखमरी से बेहाल है।
गाँव में शिक्षा,स्वास्थ का बंटाधार है।
गाँव में सड़क,बिजली,रोजगार की
माँग है।
गाँव में लोगों की आँखों में अपने
मालिकों और गाँव से निकल कर बड़े
मुकाम को पाने वाले अपनों से एक आश है।
-----आनंद।
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