किराये की यादें

किराये के घरों को बरसों बाद देखकर याद आईं बीती बातें, फिर गाने का मन किया जो तेरे संग काटी रातें😄😄

Originally published in hi
Reactions 3
896
Abhishek
Abhishek 22 May, 2020 | 1 min read

पत्ती एक गुलमोहर की, याद दिलाती उस घर की

 

जिसमें मेरा जन्म हुआ, वो माँ पाकर मैं धन्य हुआ

 

बरसों बाद देखा है जिसको, माँ के उस मातृत्व सुमन को

 

घर अपना नहीं पराया था, माँ बाबा का सरमाया थाl पत्ती एक...

 

लोगों का आज ये कहना है, कि लड्डू तो कपड़े पहना है

 

कुछ पहचाने से चूम गए, उस घर के पट भी घूम गये

 

एक माई साठ बरस की थी, मिलने पर लरसती थी

 

याद है वहाँ की एक तुलसी, लेकिन खाली गमला भी थाl पत्ती एक.....

 

अब क्या बताऊँ माँ से बचाने वाला पूरा अमला भी था l

 

शाखाएँ पीपल वृक्ष की, स्मरण दिलातीं हर कक्ष की

 

सामने एक कुआँ था, जिसकी रस्सी खोली थी

 

गगरी नीचे धम्म हुई तो अम्मा माँ से बोली थीl पत्ती एक.....

 

फिर जो था हाहाकार हुआ, भोजन भी था दुष्वार हुआ

 

वे माँ आज भी मिलती हैं तो याद समय को करती हैं

 

दिन वो आज तक याद है, जब करना था घर खाली

 

वही अम्मा चिपट के, बस थी रोने ही वाली l पत्ती एक....

 

अब देखो तो नैन खीझते से हैं, उस घर की ओर खींचते से हैं

 

कहते हैं लौट के चल, फिर उसी धूल में कूद मचल

 

यह सुन तो मन भी कहता है ये घर तेरी हर याद में रहता है

 

क्यूँ ना इक बार तो घूमा जाए, उसकी माटी को चूमा जाएl पत्ती एक....

3 likes

Published By

Abhishek

Abhisheks

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

  • Abhishek · 4 years ago last edited 4 years ago

    आपके दृष्टिकोण आमंत्रित हैं 😄

  • Mithun kumar Muddan · 4 years ago last edited 4 years ago

    Wow amazing

  • Abhishek · 4 years ago last edited 4 years ago

    Thanks @mithun ji

Please Login or Create a free account to comment.