विजय भारती
09 Jul, 2022
Picture prompt contest 2
मंद ~मंद पवन के बीच हम सबों के हाथ कुछ ऐसी बंधी थी,,की किसी अनंत गगन के परिधि सा बन गया हो जीवन ....!
हम सब वर्तमान के मदहोशी में झूठे अतित को ही भुला दिया करते थे ,,कभी चांद को सुला दिया करते थे ,तो कभी बिछड़े को मिला दिया करते थे, और इन बातों से अपनी छोटी सी दुनिया बना लिया करते थे ......!
गुम हूं आज उस मंजर में की आखिर क्यों हमे मुकम्मल जहां नही मिला.......?
✍️🤍🖤यारियां...विजय भारती...!
Paperwiff
by 2790
09 Jul, 2022
Picture prompt contest 2
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