``आम``🥭🥭
भोर की लाली में.... वो आम्रपाली जैसी है ...! जो परे जून की दोपहरी ... तो वो दशहरी जैसी है .....! ये आम है जनाब.... रेत वालो के दिल में भी नमी जैसी है ....! कायल है मधुशाला भी जिसका ....! उसके दिल में भी वो खली ऐसी है ...! ये आम है जनाब .... रेत वालो के दिल मेंं भी नमी जैसी है ...! ✍️✍️ विजय भारती🙏🌱🖤🥰

Paperwiff

by 2790

01 Jun, 2022

आम शीर्षक प्रतियोगिता

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