Titleपरिवर्तन

परिवर्तन

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डाॅ मधु कश्यप
डाॅ मधु कश्यप 18 Oct, 2020 | 1 min read




 आज रीमा बहुत व्यस्त थी।आॅफिस तो आॅफिस, घर पर भी काम करना पड़ रहा था उसे।वह बात करे भी तो किससे करें ।रीमा ने अपने पति की ओर देखा और चुप हो गई जो उसी रूम में मोबाइल में बिजी थे।ऐसा लग रहा था दोनों अलग-अलग कमरे में बैठें हो।तभी अंशु दौड़ते दौड़ते आया और पूछने लगा, " मम्मा! कल मैंने आपके ऑफिस में एक बड़ी सी ग्रीन कलर की चीज देखी थी ,उस पर नंबर लिखे थे और आप हेलो हेलो बोल रहे थे। क्या था वह?"

" बेटा! वह लैंडलाइन फोन है ।पहले वैसे ही फोन रहते थे।"

" फिर तो आपको उसे ले जाने में बहुत दिक्कत होती होगी।"

 "हा,हा!बेटा वह कहीं जाता नहीं। एक ही जगह रहता है। हमें उसके पास जाना पड़ता है ।अब मोबाइल फोन आए हैं जो जब चाहे ,जहाँ चाहे ,चल पड़ता है।"

" कितना अच्छा है ना मम्मा! हमारा काम तो आसान हो गया। इसी को चेंज कहते हैं ।" इतना कह कर अंशु खेलने चला गया।

" हाँ!बेटा इसी को परिवर्तन कहते हैं शायद। पहले के फोन जहाँ सभी को एक साथ ले आते थे । अब मोबाइल ने हर रिश्ते को दूर कर दिया है। एक जगह रहते हुए भी सभी अलग-अलग रहते हैं और खुद में गुम रहते हैं।" रीमा ने अपने पति की ओर देखते हुए कहा जो अभी भी मोबाइल में बिजी थे ।जिनके लिए हर रिश्ते में परिवर्तन आ चुका था ।

©️®️डाॅ मधु कश्यप

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