प्रकृति कर रही पुकार,
अब तो सुन लो मेरी कराह,
जितना लेना था मुझसे ले लिया,
मेरे अंग अंग को निचोड़ लिया,
जिंदा रहना है तो,
खुद को सुधारो तुम,
पेड़ लगाओ, पौधे लगाओ,
हरियाली को सँवारो तुम,
जीवन एक बार मिलती है,
जीना सीखो तुम,
वर्ना पतन के गर्त में,
गिरने से तुम्हें कोई नहीं बचा पाएगा,
भविष्य के धरोहर हो तुम,
धरती को हरा भरा बनाना,
भूल न जाओ तुम।
डाॅ मधु कश्यप ,
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
Sahi likha hai👌👌😍
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