पृथ्वी संरक्षण
आज जिस तरह से मनुष्य धरती का उपभोग कर रहा है, यह अन्य प्राणियों एवं वनस्पतियों के लिए बहुत ख़तरनाक है। इस पर सद्गुरु कहते हैं कि मनुष्य धरती का दुश्मन है क्योंकि सिर्फ मनुष्य ही ऐसा प्राणी है जिससे अन्य प्राणियों एवं वनस्पतियों के अस्तित्व ख़तरा उत्पन्न हो रहा है। इससे जीवन चक्र बुरी तरह प्रभावित हो रहा है। एवं यह भयानक है। क्योंकि मनुष्य भी इसी ग्रह का हिस्सा है और सभी जीव इस ग्रह की जीवन रक्षा करते हैं और मनुष्य धरती पर जीवन का विनाशक साबित हो रहा है। इससे मनुष्य के जीवन पर भी ख़तरा होना स्वाभाविक है।
यदि समय रहते इस ओर संरक्षण के कदम नही उठाये जाते हैं तो मनुष्य भयानक प्राकृतिक आपदाओं का शिकार होगा और तब इसे नियंत्रण करना असंभव होगा। अतः अभी इस ओर प्रभावशाली कदम उठाये जाने की आवश्यकता है।
विश्व की सभी सरकारों को जलवायु परिवर्तन जैसी समस्या से निदान के क्षेत्र में एकजुटता से प्रयास की आवश्यकता है। इस ओर आपसी मतभेद भुला कर एकजुटता से युद्धस्तर पर कार्य करने की आवश्यकता है। जिसमें प्रमुख रूप से वन संरक्षण और जल संरक्षण के क्षेत्र में विशेष रूप से प्रयास की आवश्यकता है। इसके लिए जनजागरुकता अभियान चलाए जाने की आवश्यकता है जिससे प्राकृतिक संसाधनों को प्रदूषण एवं अंधाधुंध ख़पत से बचाये जा सके।
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