अपने प्रियजनों के साथ मैं वैसा ही होता हूँ, जैसा मैं हमेशा से था।
“आपकी सारी उपलब्धियों में महानतम है - अपने जीवन को उपलब्धियों से परिपूर्ण करना और फिर यह कह सकने योग्य होना: ‘मैंने जो भी हासिल किया है, उसने मेरे अस्तित्व को मलिन व दूषित नहीं किया है, मैं वैसा ही हूँ जैसा हमेशा से था।’ जीवन का सबसे बड़ा आनंद है, इंसानों के बीच रहते हुए इंसानियत से थोड़ा ऊँचा उठकर जीना, लेकिन फिर भी इंसानों के बीच इंसानों की तरह चलना। आप अपने हृदय को किसी भी बाहरी चीज़ से अछूता रहने दें।” - ये शब्द एक वार्षिक आध्यात्मिक कार्यक्रम के समापन पर मेरे द्वारा कहे गए शब्दों में से कुछ शब्द थे।
कुछ घंटे बाद हम मुंबई हवाई अड्डे पर पहुँचे। हमारे समूह में लगभग 30 लोग थे। अचानक ही वहाँ मेरा एक बहुत पुराना मित्र मिल गया, जो अब मेरे संपर्क में नहीं था। पिछली बार हमारी भेंट लगभग 10 वर्ष पहले हुई होगी। और इस बीच मेरे जीवन के घटनाक्रम से वह पूरी तरह अंजान था। यह सुनकर कि हम एक आध्यात्मिक कार्यक्रम से लौट रहे हैं, उस पर एक सनक सवार हो गई और वह बोला, “मुझे सलाम करो और सिद्ध करो कि तुम अभी भी मेरे वैसे ही मित्र हो।” कोई क्या कहेगा इसकी परवाह न करने वाला व्यक्ति होने के कारण मैंने उसे झट से सलाम कर दिया। मुझे मालूम है कि मेरे वे 30 मित्र मुझे कितना प्रेम करते हैं, और मेरा कितना सम्मान करते हैं। इसलिए जब उनके चेहरों पर ‘बुरा लगने’ के भाव उभरे तो मुझे आश्चर्य नहीं हुआ। लेकिन मेरे उस पुराने मित्र के लिए वह एक महान विजय वाला पल था। वह मुझमें अपना वही पुराना मित्र देखना चाहता था, न कि आध्यात्मिक रूप से प्रतिष्ठित किसी व्यक्ति को। उसके चेहरे पर आई ख़ुशी यह बता रही थी।
एक दिन मेरा बेटा मेरे पास आया और कहीं बाहर डिनर करने की ज़िद करने लगा। मैंने उसे बताया कि आज यह संभव नहीं है क्योंकि ‘फ़्रोज़न थॉट’ के नियमित स्तंभ ‘सजगता’ के लिए मुझे अपना लेख रात तक पूरा करके देना है। उसने पल भर भी रुके बिना मुझे जवाब दिया, “आप अपने लोगों को कल सजग कर देना, मुझे आज ही डिनर पर ले चलो।”
आपके माता-पिता को तो अपना बेटा चाहिए, कोई प्रबंधन गुरु नहीं। आपके जीवनसाथी को अपनी भावुकताओं वाली कमियों के साथ आप वैसे ही चाहिए जैसे आप हैं, न कि कोई दोषशून्य संपूर्ण व्यक्तित्व। आपके बच्चों को तो एक पिता चाहिए, न कि कोई राष्ट्रपिता।
क्या दो प्रसिद्ध पात्र - सुपरमैन और स्पाइडरमैन, हमें यही बात नहीं सिखा रहे हैं? ये दोनों नायक किसी भी आम आदमी की तरह भावुक हैं - अपनी पसंद की लड़की के सामने अपने प्रेम का इज़हार करने में वैसे ही संकोचशील! लेकिन जब परिस्थिति की माँग होती है तो जो कुछ ज़रूरी है, उसे करने के लिए उठ खड़े होते हैं।
अपने पेशेवर क्षेत्र में मैं अपनी विशेष वेशभूषा पहन लेता हूँ और परिस्थिति के अनुसार अपने कार्य में जुट जाता हूँ। लेकिन मैं हमेशा यह याद रखता हूँ कि कब मुझे यह विशेष वेशभूषा उतार देनी है। कुछ भी हो, मेरे घर में रहने वालों को तो वही व्यक्ति चाहिए, न कि कोई सिद्ध व्यक्ति। अपने प्रियजनों के साथ मैं वैसा ही होता हूँ, जैसा मैं हमेशा से था।
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