अहं

जब अहं आता है तो बाक़ी सब चला जाता है, और जब अहं चला जाता हैं तो सब आ जाता है।

Originally published in hi
Reactions 0
913
Pt N L Mishra
Pt N L Mishra 17 Feb, 2020 | 1 min read

जब अहं आता है तो बाक़ी सब चला जाता है, और जब अहं चला जाता हैं तो सब आ जाता है।

साइकिल चलाना आ जाने के बाद जो एक बड़ा रोमांच होता है वह है हैंडल से हाथ छोड़कर उसे चलाना। इस तरह से साइकिल चलाना इतना महत्वपूर्ण नहीं होता, जितना यह देखना कि ऐसा करते हुए लोग हमें देख रहे हैं। किशोरावस्था में किसी बस या ट्रेन के पायदान पर खड़े होकर यात्रा करना साहस का एक बढ़िया प्रदर्शन समझा जाता है। दरअसल लोगों में यह ललक उस काम को करने की नहीं होती, बल्कि दूसरों की नज़र में आने की होती है।

जीवन में हर कोई उस अवस्था से गुज़रता ही है, जिसमें दूसरों की नज़र में आने और अपनी एक पहचान बनाने के लिए हम कुछ भी कर गुज़रने को तैयार रहते हैं। यह वह समय होता है, जब कोई भी अच्छाई केवल इसलिए अच्छाई लगती है, क्योंकि वह लोगों का ध्यान अकर्षित करती है। और तो और कोई बुराई भी तब इसलिए अच्छाई लगने लगती है कि वह लोगों का ध्यान आकर्षित कर रही होती है। विडंबना तो तब होती है जब कोई अच्छाई भी, बस इसलिए अच्छाई नहीं रह जाती क्योंकि वह लोगों का ध्यान आकर्षित करने में विफल रहती है। दूसरों का ध्यान आकर्षित करना, दूसरों की नज़र में आना - यह अहं की ही ख़ुराक़ है। लेकिन आख़िरकार हमें उस अवस्था से ऊपर उठना चाहिए।

अपने स्वभाव के अनुसार, अहं को पोषण चाहिए और इसीलिए वह सदा इसका भिखारी बना रहता है। अहं के साथ समस्या यह है कि जब तक आपके अहं का पोषण होता है, तो आप श्रेष्ठता की भावना से ग्रस्त रहते हैं, लेकिन जब आपके अहं का पोषण नहीं किया जाता तो आप हीन भावना से ग्रस्त हो जाते हैं। दोनों ही अवस्थाओं में यह आपकी मानसिक शांति को छीन लेता है।

जब अहं आता है तो बाक़ी सब चला जाता है, और जब अहं चला जाता है तो सब आ जाता है।

अपने अहं को संतुष्ट करने के चक्कर में आप कितने मूल्यवान संबंध खो चुके हैं? आपको जब अपने अहं को दूर करके संबंध को बचाना था, तब आपने संबंध को दूर जाने दिया और अहं को बचा लिया। अहं कभी इस योग्य नहीं होता कि उसके लिए इतनी भारी क्षति सही जाए।

जब आप अपने अहं की सेवा करने में लगे होते हैं, तब कितने ही सुनहरे अवसर गँवा देते हैं? तब हर पल भारी होता है, हर स्थिति दिमाग़ की नसें हिला देने वाली होती है, हर बातचीत तनावपूर्ण होती है… अहं से भरा हृदय हमेशा आग पर चल रहा होता है, जल रहा होता है। अहं और सहजता का मिलन कभी नहीं हो पाता।

अपनी चोंच में माँस का टुकड़ा ले जा रहे एक कौवे ने पाया कि कई चिड़ियाँ उसके पीछे पड़ गई हैं। उसने वह माँस का टुकड़ा छोड़ दिया। तब सारी चिड़ियाँ कौवे को छोड़कर उस टुकड़े के पीछे झपट पड़ीं। तब आकाश में अकेले उड़ते कौवे ने कहा - “उस माँस के टुकड़े को छोड़कर मैंने आकाश की आज़ादी पा ली।”

अपने अहं को छोड़ देने से आपको भरपूर आज़ादी मिल जाती है।

0 likes

Published By

Pt N L Mishra

नन्दलाल

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

Please Login or Create a free account to comment.