आलस में नहीं है सुख

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Ritika Singh
Ritika Singh 03 Sep, 2021 | 1 min read

चींटी हर समय काम करती रहती थी कभी बिल की व्यवस्था करती तो कभी राशन पानी कि उसे काम करते अकर्मण्य कछुआ देखता रहता था एक दिन चींटी अपने परिवार के लिए खाना लेने बाहर गई हुई थी लौटकर आए तो देखा कि कछुआ उसके बिल के ऊपर पत्थर बना बैठा हुआ है चीटी ने उसके खोल पर दस्तक दी तो उसने मुंह निकाला ची ड कर बोला क्या है चींटी बोली यह मेरा घर है यहां से हट जाओ कछुआ बोला देखती नहीं मैं आराम कर रहा हूं मुझे यहां से कोई नहीं हटा सकता जाओ मेरी तर ह जा कर आराम करो चींटी ने कहा क्या तुम्हें अपने आलस में सुख मिलता है कछुए ने कहा मैं क्या जो भी मेरीतरह अपने हाथ पाव सभी कामों से खींच कर अपने में लीन हो जाता है वही सुखी है यह कहना कछुआ फिर अपने खोल के भीतर समा गया चींटी तो मैं हनती थी उसने कछुए के पास से बिल बनाया और जमीन के भीतर भीतर अपने बिल में चली गई संगठित होकर कछुए के नीचे पहुंच गई और उसे काटने लगी आखिरकार चींटी के प्रहार बचने के लिए कछुए को आलस त्याग कर वहां से हटना पड़ा चींटी आकर बोली अब बताओ तुम्हें सुख किस में मिला चींटी के कट ते रहने में या अपने हाथ पांव हिलाकर वहां से हटने में संकट आने पर हमकाम करें इससे अच्छा हैकी काम करने कीआदत डाल ले



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Ritika Singh

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Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

  • Charu Chauhan · 3 years ago last edited 3 years ago

    बहुत सुंदर 🤟

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