चींटी हर समय काम करती रहती थी कभी बिल की व्यवस्था करती तो कभी राशन पानी कि उसे काम करते अकर्मण्य कछुआ देखता रहता था एक दिन चींटी अपने परिवार के लिए खाना लेने बाहर गई हुई थी लौटकर आए तो देखा कि कछुआ उसके बिल के ऊपर पत्थर बना बैठा हुआ है चीटी ने उसके खोल पर दस्तक दी तो उसने मुंह निकाला ची ड कर बोला क्या है चींटी बोली यह मेरा घर है यहां से हट जाओ कछुआ बोला देखती नहीं मैं आराम कर रहा हूं मुझे यहां से कोई नहीं हटा सकता जाओ मेरी तर ह जा कर आराम करो चींटी ने कहा क्या तुम्हें अपने आलस में सुख मिलता है कछुए ने कहा मैं क्या जो भी मेरीतरह अपने हाथ पाव सभी कामों से खींच कर अपने में लीन हो जाता है वही सुखी है यह कहना कछुआ फिर अपने खोल के भीतर समा गया चींटी तो मैं हनती थी उसने कछुए के पास से बिल बनाया और जमीन के भीतर भीतर अपने बिल में चली गई संगठित होकर कछुए के नीचे पहुंच गई और उसे काटने लगी आखिरकार चींटी के प्रहार बचने के लिए कछुए को आलस त्याग कर वहां से हटना पड़ा चींटी आकर बोली अब बताओ तुम्हें सुख किस में मिला चींटी के कट ते रहने में या अपने हाथ पांव हिलाकर वहां से हटने में संकट आने पर हमकाम करें इससे अच्छा हैकी काम करने कीआदत डाल ले
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Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
बहुत सुंदर 🤟
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